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केले की खेती: किसान करेंगे लाखों की कमाई, सरकार देगी 50% सब्सिडी, देखें पूरी जानकारी

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By Rohit Sihag

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केले की खेती

केले की खेती:- किसानों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशखबरी है जो किस केले की खेती (Banana Farming) करते हैं उनके लिए बिहार सरकार के द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना लाई गई है। इस योजना के जरिए किसानों को केले की कमाई करने पर 50% सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य फलों की खेती (Fruits Farming) को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना है।

किसानों के लिए बम्पर कमाई का मौका

केले की खेती (Kele Ki Kheti) किसानों के लिए एक बहुत ही लाभकारी व्यवसाय है। केलों से किसान ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं इसके साथ ही ये रोजगार का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। अब तो बिहार सरकार 50% सब्सिडी भी दे रही है अभी यह किसानों के लिए बंपर कमाई करने का शानदार मौका है।

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि टिश्यू कल्चर से खेती करने के दौरान एक हेक्टेयर में 125000 की लागत आती है वही योजना के तहत किसानों को 50% सब्सिडी यानी की 62000 सब्सिडी के तौर पर मिलेंगे। तो चलिए विस्तार से जाने की आप केले की खेती (Banana Farming ) कैसे कर सकते हैं।

इस तरह शुरू करें केले की खेती

  1. भूमिका चयन करना:- केलों की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको मिट्टी का चुनाव करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। क्योंकि ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आपको जमीन की जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए ताकि आपकी जमीन में जितने भी पोषक तत्वों की कमी है उन सबको पूरा किया जा सके। इस खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच में होना चाहिए। इसके अलावा भूमिका चयन करते समय आपको यह बात जरूर ध्यान रखनी है कि वहां पर हवा आती रहे।
  2. जलवायु:- इसकी खेती के लिए जलवायु बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस खेती के लिए 13 डिग्री से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सबसे ज्यादा माना जाता है इसके अलावा यह फसल 75 से 85% नामी में बहुत ही अच्छी तरह से बढ़ती है।
  3. उत्तम किस्में और खेती की तैयारी:- केले की काफी सारी उन्नत किस्म मौजूद है लेकिन सबसे ज्यादा सिंघपुरी के केले को सबसे ज्यादा बेहतर माना जाता है। इस किस्म के केले की पैदावार ज्यादा होती है इसके अलावा केले की हरी छाल,अल्पान, साल भोग, बसराई ये प्रजातियां भी अच्छी मानी जाती है। केले को रोपने से पहले लोबिया जैसी हरी खाद की फसल उगाई जानी चाहिए और उसे जमीन में गाड़ देना चाहिए। क्योंकि यह मिट्टी के लिए खाद का काम करती है। अब खेत को तैयार करने के लिए जमीन को दो से तीन बार अच्छे से जोतकर समतल कर लेना चाहिए।
  4. टिशू कल्चर तकनीक से तैयार किये गए पौधे का रोपण करें:- इस खेती में समय के बचाव के लिए और जल्दी पैसा कमाने के लिए टिशु कल्चर तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए आपको टिशू कल्चर से तैयार पौधे को ही लगाना चाहिए क्योंकि टिशू कल्चर से तैयार पौधों की फसल 1 साल में ही तैयार हो जाती है। हालांकि इसकी फसल को ज्यादा गर्म तापमान और ज्यादा ठंड तापमान से बचाना काफी ज्यादा जरूरी होता है।
  5. पौधों के रोपण के लिए गड्ढे तैयार करें:- अब आप पौधों के रोपण के लिए गड्ढे तैयार कर लें।आपको 45*45*45 सेंटीमीटर के आकार के गड्ढों की आवश्यकता है। गड्ढों में आप 10 किलो खाद, 250 ग्राम खली और 20 ग्राम कार्बोफ्यूरान को गड्ढे में भर दें और उसको खुला छोड़ दें ताकि सूरज की धूप लग सके।

उर्वरकों का प्रयोग

बहुत सारे किसान साथी केलों की खेती में अपना नुकसान करवा लेते हैं क्योंकि उन्हें केलों में कौन से उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए उसके बारे में जानकारी नहीं होती। देखिए बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यानी की जून के महीने में खोदे गए गड्ढे में 8.15 किलो नाडेप कंपोस्ट खाद और 150 से 200 ग्राम नीम की खली और 250 से 300 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 200 ग्राम नाइट्रोजन 200 ग्राम पोटाश डालकर मिट्टी भर दें। इसके बाद समय पर पहले से खोदे गए गड्ढे में केलों के पौधे लगा देनी चाहिए।

पौध रोपने का सही समय और तरीका

अब बात आती है की पौध की रोपाई कब और किस तरह से करें। अगर आपके पास ड्रिप सिंचाई की सुविधा है तो आप पोली हाउस में टिशू कल्चर तकनीक से केले की खेती (Banana Farming ) पूरे साल भी कर सकते हैं। देखिये महाराष्ट्र में इसकी खेती के लिए मृग बाग खरीफ रोपाई के महीने हैं जून-जुलाई और रबी रोपाई के महीने अक्टूबर-नवंबर पूरा माना जाता है। वैसे परंपरागत रूप से केला उत्पादक फसल की रोपाई 1.5 मीटर से 1.5 मीटर के साथ ही करते हैं।

उत्तर भारत के तटीय पट्टू जहां पर नमी बहुत ज्यादा है और तापमान 5 से 7 डिग्री तक गिर जाता है वहां रोपाई का अंतराल 2.5 मीटर से 1.5 मीटर से कम बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। केले की रोपाई करते समय जड़ीय गेंद को छेड़ बगैर उसे पॉलीबैग से अलग किया जाता है और उसके बाद 6 तने को भू-स्तर से 2 सेंटीमीटर नीचे रखते हुए पौधों को गड्ढे में रोपा जा सकता है लेकिन आपको पौधे को गहरा नहीं रोपना चाहिए है।

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Rohit Sihag

रोहित सिहाग, Speech News के लेखक और संचालक हैं। वह कृषि समाचार, किसान, खेती-बाड़ी, सरकारी योजनाएं, सरकारी नौकरियां और टेक्नोलॉजी से जुड़ी जानकारी को सरल भाषा में पेश करते हैं। रोहित का उद्देश्य है कि हर किसान और युवा तक सही और सटीक जानकारी पहुंच सकें।

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